लेखनी कहानी -18-Dec-2022 निवृत्ति
जिनसे निवृति करनी थी
उनसे आसक्ति कर बैठे
जिनमें आसक्ति करनी थी
उनसे निवृति कर बैठे ।
परमपिता परमेश्वर के अंश हैं हम
सिर्फ उन्हीं से आसक्ति करनी थी
पर उनके अलावा हर किसी से
नाता जोड़कर ये क्या कर बैठे ।
शरीर को ही सब कुछ समझने की
हाय , ये कैसी भूल कर बैठे
मैं, मेरा से आगे बढ नहीं पाये
काम क्रोध मद लोभ की गोद में जा बैठे
अब लेनी है राग - द्वेष , सुख - दुख
हानि - लाभ , जीवन - मरण , हर्ष - विषाद
ईगो, अहंकार से निवृति मोह माया से निवृति
खुद को "शरीर" समझने की प्रवृति से निवृति ।
अब भी समय है अभी कुछ नहीं बिगड़ा है
कामनाओं से निवृति लेकर जीवन सुधर सकता है
ईश्वर सत्य है , सिर्फ उनमें आसक्ति रखनी है
भक्ति योग और कर्म योग से मोक्ष मिल सकता है
श्री हरि
18.12.22
Sachin dev
18-Dec-2022 01:29 PM
Well done
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Abhinav ji
18-Dec-2022 09:15 AM
Very nice👍👍
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Renu
18-Dec-2022 07:00 AM
बहुत ही सुन्दर 👏👏
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